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छा गईं भागलपुर की नमिता कुमारी, माउंट एल्ब्रस पर दिखाया तीन रंगों का जादू

by admin477351

भागलपुर के इशाकचक निवासी त्रिभुवन पांडेय और चिंता देवी की सबसे छोटी बेटी नमिता कुमारी ने साहस और दृढ़ संकल्प की एक मिसाल कायम की है. पटना के बिहार ग्रामीण बैंक की करबिगहिया शाखा में सहायक प्रबंधक के पद पर कार्यरत नमिता ने 16 अगस्त को सुबह 5.20 बजे माउंट एल्ब्रस की चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर वहां हिंदुस्तान का तिरंगा फहराया. इस उपलब्धि ने न सिर्फ़ उनके परिवार और राज्य का नाम गौरवान्वित किया, बल्कि देशभर में प्रेरणा का साधन भी बन गई.

नमिता ने अपने इस ऐतिहासिक यात्रा के बारे में बताते हुए कहा, “मेरे लिए यह भावुक और गर्व का पल है. इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है. यह केवल मेरी उपलब्धि नहीं, बल्कि मेरे परिवार, भागलपुर और पूरे राष्ट्र के लिए गौरव का क्षण है.”

माउंट एल्ब्रस, जिसे यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माना जाता है, पर चढ़ाई करना मुश्किल और जोखिम भरा कार्य है. इसके लिए जरूरी शारीरिक फिटनेस, मानसिक मजबूती और सख्त प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है. नमिता ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए कई महीनों की कड़ी मेहनत और प्रशिक्षण के बाद इस कामयाबी को हासिल किया.

नमिता की इस उपलब्धि पर उनके परिवार ने भी गर्व व्यक्त किया. माता-पिता त्रिभुवन पांडेय और चिंता देवी ने बोला कि उनके लिए यह पल बहुत सुखद और प्रेरणादायक है. उन्होंने कहा कि नमिता बचपन से ही साहसी और अनुशासित रही हैं, और यह उपलब्धि उनके अडिग संकल्प का प्रतिफल है.

स्थानीय लोगों और भागलपुर के समाज ने भी नमिता कुमारी की इस उपलब्धि का स्वागत किया. कई लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें शुभकामना दी और उनके साहस को सराहा. इस घटना ने युवाओं के लिए भी एक संदेश दिया कि यदि मेहनत, सरेंडर और दृढ़ ख़्वाहिश शक्ति हो, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं है.

विशेषज्ञों का बोलना है कि स्त्रियों द्वारा इस तरह की साहसिक उपलब्धियाँ समाज में सकारात्मक संदेश फैलाती हैं और यह दिखाती हैं कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी पहचान बना सकती हैं.

संक्षेप में, भागलपुर की नमिता कुमारी ने माउंट एल्ब्रस पर हिंदुस्तान का तिरंगा फहराकर अपने राज्य और परिवार का नाम गौरवान्वित किया. यह उपलब्धि न सिर्फ़ उनके साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, बल्कि पूरे राष्ट्र के युवाओं के लिए प्रेरणा का साधन भी बन गई है. नमिता का यह ऐतिहासिक कदम यह साबित करता है कि हौसला और मेहनत से कोई भी शिखर हासिल किया जा सकता है.

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