क्रिसिल की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, GST रेट्स को रेशनलाइज करने से गवर्नमेंट पर किसी तरह का कोई बड़ा राजकोषीय बोझ नहीं आएगा. गवर्नमेंट ने GST सुधारों के कारण अल्पावधि में राजस्व में 48,000 करोड़ रुपए का वार्षिक शुद्ध घाटा होने का संभावना व्यक्त किया है.
क्रिसिल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त साल में कुल GST संग्रह 10.6 लाख करोड़ रुपए था; इसलिए, यह घाटा अधिक नहीं लगता.
रिपोर्ट में इस बात पर खास बल दिया गया है कि टैक्स दर में कमी के कदम से सरकारी राजस्व पर कोई बड़ा दबाव पड़ने की आसार नहीं है.
रिपोर्ट में बोला गया है, “वित्त साल 2024 तक, GST राजस्व का 70 से 75 फीसदी अधिकतर हिस्सा 18 फीसदी स्लैब से आया. सिर्फ़ 5-6 फीसदी 12 फीसदी स्लैब से और 13-15 फीसदी 28 फीसदी स्लैब से आया.”
वस्तुओं के टैक्स दर को 12 फीसदी से कम करने से राजस्व में कोई बड़ा हानि नहीं होगा.
इस बीच, मोबाइल टैरिफ शुल्क जैसी कई तेजी से बढ़ती सेवाओं पर कर की दरें अपरिवर्तित हैं.
ई-कॉमर्स डिलीवरी जैसी नयी सेवाओं को भी GST के दायरे में लाया गया है और उन पर 18 फीसदी कर लगाया गया है और अन्य जन उपभोग की वस्तुओं पर फायदा के कारण प्रयोज्य आय में कुछ वृद्धि से उनकी मांग और कर संग्रह में वृद्धि हो सकती है.
रिपोर्ट में बोला गया है, “उच्च आय वर्ग से प्रीमियम मांग बरकरार रह सकती है, जिससे राजस्व को बढ़ावा मिल सकता है.”
इसके अलावा, GST सुधार से अधिक वस्तु और सेवाएं औपचारिक दायरे में आ सकती हैं, जिससे मध्यम अवधि में कर वृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है.
हालांकि उपभोग पर इसका असर इस बात पर निर्भर करता है कि GST में कटौती का असर उपभोक्ता कीमतों पर कितनी तेजी और किस हद तक पड़ता है, लेकिन जरूरी वस्तुओं पर कर कटौती से क्रय शक्ति बढ़ सकती है, जिससे उपभोग को धीरे-धीरे व्यापक बढ़ावा मिल सकता है.
इसके अलावा, इस वित्त साल में उपभोग के लिए अन्य वृहद सकारात्मक पहलू भी हैं, जैसे कम मुद्रास्फीति, उधार लेने की लागत में कमी, इस वर्ष की आरंभ में गवर्नमेंट द्वारा घोषित इनकम टैक्स राहत और बेहतर कृषि.