भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार ‘सिंधु जल समझौते’ पर कांग्रेस पार्टी को घेर रही है. बीजेपी नेताओं ने निशाना साधते हुए बोला कि देशहित के बजाय विदेशी राष्ट्रों के हितों का चिंतन करे, वही कांग्रेस पार्टी है. बीजेपी नेताओं ने यह भी बोला कि जो परिवार की संस्था रही हो, उससे समाज के कल्याण की कल्पना नहीं हो सकती है.
भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने आईएएनएस से वार्ता में बोला कि कांग्रेस पार्टी का कार्य करने का तरीका ‘वन मैन शो, वन मैन आर्मी’ का रहा है. इनके नेता ‘इंडिया इज इंदिरा, इंदिरा इज इंडिया’ बोलते थे. दिनेश शर्मा ने कहा, “जो परिवार की संस्था रही हो, उससे समाज के कल्याण की कल्पना नहीं हो सकती.”
उन्होंने आगे कहा, “नदी हमारी है, पानी भी हमारा है, फिर भी इसके 80 फीसदी हिस्से का पानी पाक को दे दिया गया. केवल यही नहीं, सिंधु जल संधि के अनुसार यह भी समझौता कर दिया गया कि भारत, पाक की सहमति के बिना अपनी जमीन पर बने बांधों के पानी का प्रवाह नहीं रोक सकता या उन्हें साफ नहीं कर सकता है.”
सिंधु जल संधि पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, “देश के बंटवारे के समय, हिंदुस्तान से और हिंदुस्तान के भीतर बहने वाली नदियों का विभाजन स्वतंत्रता के लगभग 13 वर्ष बाद आखिरी रूप दिया गया था. 80 फीसदी भूमि हिंदुस्तान में थी, केवल 20 फीसदी पूर्वी और पश्चिमी पाक को मिली, फिर भी तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू ने 80 फीसदी नदी जल पाक को आवंटित कर दिया. हिंदुस्तान की नदियों पर हिंदुस्तान के ही अधिकारों को बाधित किया गया, जिसकी मूल्य राष्ट्र के किसानों को चुकानी पड़ी है.”
इसी तरह, सिंधु जल संधि के मामले पर केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, “1960 की सिंधु जल संधि का विश्लेषण करें, ऐसा लगता है कि आप सिंधु नदी का 80 फीसदी पानी पाक को दे रहे हैं और बदले में आपको क्या मिलता है? कुछ भी नहीं. आपने (कांग्रेस) किसानों पर विचार किए बिना इसे दे दिया. संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद भी यदि बांधों से गाद निकालने की आवश्यकता होती, तो हिंदुस्तान को पाक की अनुमति लेनी पड़ती थी.”
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा, “आज हमने जो जानकारी पढ़ी है, वह चौंकाने वाली है. नदियां हिंदुस्तान की हैं, पानी हिंदुस्तान का है, फिर भी 80 फीसदी पाक को दिया जाना है, यह कैसा इन्साफ है? हिंदुस्तान की तुलना में पाक के आकार और जनसंख्या को देखते हुए, आवंटन आनुपातिक होना चाहिए था. आगे पढ़ने पर, हमने पाया कि नेहरू ने कैबिनेट से परामर्श किए बिना या किसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन किए बिना यह फैसला लिया. यहां तक कि उनके अपने सांसदों ने भी इस कृत्य को मूर्खतापूर्ण बोला था. कांग्रेस पार्टी और पीएम जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल ने राष्ट्र का हानि किया है.”